Monday 17 August 2015

एक सुबह घाट पर

सुबह एक दोस्त ने उठाया है.....और घाट तक ले आया है...आप क्या सोचे की मै ये कहूँगा कि.... न तो मुझे किसी ने बुलाया है..ना तो मै आया हु....मुझे तो माँ गंगा ने बुलाया है......भाई ये डायलाग प्रधान सेवक जी के नाम पेटेंट हो गया है और हम ठहरे पेसेंस वाले....हम धीरज धर लेंगे माँ ने हमे नही बुलाया.....बिन बुलाये पहुंच गये।  

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