Monday 20 July 2020

मौन हो तुम अभी तो फिर मौन ही सही





मौन हो तुम अभी तो फिर मौन ही सही,
प्रोफाइल पिक बदल कर कुछ कहीं तो सही।
तुम्हारे मन में चल रही बात पता तो चली,
पर कारण है क्या, यह तुम नहीं कह रही।

बात सच है हर समय कोई मजबूत नहीं होता,
पर जिसके साथ हो महादेव, वो यूही नहीं रोता।
कभी-कभी अकेले रहने की होती है जरूरत,
बहते है जो आंसू उनकी भी होती है कीमत।

इन आंसुओ को ऐसे न बहाओ,
क्या बात हुई, हमसे भी बताओ।

कुछ तो बात होगी, कोई तो ख़ता होगी,
हमसे हो ना सही, किसी और से तो होगी।
हमसे है ख़ता तो बता दो, झुक जाएंगे हम,
किसी और से है तो उसे झुका देंगे हम।

क्लास नहीं चल रहा पूरा, होमवर्क हो रहा अधूरा,
तुम्हारी बातों व चित्रों के बिना नींद नहीं हो रहा पूरा।
टीचर तुम चली आओ भोले शिष्य का निमंत्रण है,
कलाकार चली आओ, रंगों व ब्रशों का आमंत्रण है।

Monday 8 June 2020

उदासी और अपना साथी



लगता है तुम्हें किसी बात की है उदासी,
कहो ना मुझसे अगर मैं हूं तुम्हारा साथी।

हो सकता है वो बात हो तुम्हारे बहुत अज़ीज,
नहीं चाहती तुम किसी को बताना वो चीज।

पर जान लो हम भी है देव सब जानते है,
महादेव की भक्त तुम्हें इतना तो जानते है।

दोस्त है तो बता दो क्या है बात,
नहीं रुसवा होने पर कौन होगा साथ।

Saturday 30 May 2020

हम है पत्रकार




आज पत्रकारिता दिवस है तो कवि डा कुमार विश्वास जी के हम है देशी कविता के तर्ज पर मेरी कविता। 

हम है पत्रकार, हम है पत्रकार
हम है पत्रकार हां मगर खबरो में आते नहीं।

पत्रकारिता के हम परिंदे, खबरे है हद हमारी,
जानते है हुक्मरान, जिद हमारी जद हमारी।

 हम वही जिसने खबरो से मजलूमो का हाथ थामा,
 हम वही जिनके लिए दिन रात की उपजी न बाधा।
 हम की जो लेखनी वाले को मानकर सम्‍मान देते,
 हम की जो खबरो में खबर को है पहचान लेते।

हम है पत्रकार, हम है पत्रकार
हम है पत्रकार हां मगर, दलाल यहां भी छाये हुए है।

 उन पत्रकारो का क्या करे, जो  लेखनी वाले नहीं,
 ऐसे पत्रकारो के लिए क्या पत्रकारिता दिवस है सही।

राजनैतिक दलो का बैनर ले राष्‍ट्रवादी बन जाते है ये,
फिर भी खुद काे पत्रकार कहलाते है ये।
दिन भर खटते न्यूज बटोरते, उनका हक मार जाते है ये,
सवाल ये कि आखिर पत्रकार क्यों कहलाते है ये।

#हिंदी_पत्रकारिता_दिवस_2020

Friday 29 May 2020

देखती हो पर इजहार नहीं करती


देखती हो पर इजहार नहीं करती,
शायद तुम मुझसे प्यार नहीं करती।

देखते है युही तुमको हम भी अपनी निगाहों से,
चाहते तो है हम तुमको, पर इजहार नहीं करते डर से।

वैसे इजहार के इंतजार में है हम कब से,
लॉक डाउन में मिल रहे नहीं हो तुम हमसे।

क्वारन्टीन हो गई हो तुम अपने हम में,
आइसोलेट होने का मन है तुम्हारे संग में

आइसोलेट होने वाला सोचे निगेटिव रिपोर्ट आए हर बार,
पर हमें है प्यार के सैम्पल में पाजिटिव रिपोर्ट का इंतजार।

तो करोना तुम प्यार का इजहार,
आस लगाए बैठे है हम दिन रात।

Tuesday 26 May 2020

एक तरफा प्यार..

एक तरफा प्यार...


लिखा होता है तकदीर में जिसका नाम,
आखिर मिलता है उसको उसी का साथ।
हर किसी को नहीं मिलता उसका आजीवन साथ,
जिसके लिए दिल में होता है  प्यार का एहसास।
इशारों ही इशारों में बातों ही बातों कहनी होती है जो बात,
उसके लिए दिल और दिमांग को करना होता है एक साथ।
समझ कर जो प्यार होता है,सोच कर इजहार नहीं होता,
अगर ना मिले वो तो कहते है जीवन साकार नहीं होता।

एक तरफ प्यार.....सबको होता है जीवन में एक बार। 

Sunday 24 May 2020

हेलो, तुम भी हमे फोन कर लिया करो ना




हेलो, तुम भी हमे फोन कर लिया करो ना।

क्यों? तुम तो करते ही हो, फिर मेरे करने से क्या अलग होगा। 

यही नहीं समझी तुम

क्या नहीं समझी

यही कि मेरे फोन पर कालर ट्यून लगा है।

वो तो अब सब में लगा है, सरकार ने कोरोना कॉलर ट्यून फ्री में लगाया है। नहीं-नहीं मुझे नहीं सुनना कोरोना वाला। 

तुमसे किसने कहा मेरे में कोरोना वाला लगा है। 

सब में वही बजता है, तो तुम्हारे में भी वही होगा। इसलिए मैंने फोन करना बंद कर दिया है। 

सब में कोरोना ट्यून बजता है। सब को कोरोना हो सकता है, पर सबको मोहब्बत थोड़े ही होता है। 

तुम क्या कह रहे, कोरोना, कॉलर ट्यून, मोहब्बत। समझ नहीं आ रहा। तुम मिलों।

लॉक डाउन में मिलना ही तो नहीं हो रहा। इसलिए कह रहा फोन कर लिया करो। दिल के जो जज्बात मिल के न कह सकूंगा, तुम कॉलर ट्यून से समझ लेना।

कौन सा ट्यून लगाए हो वैसे।

मोहब्बत बरसा देना तुम लॉक डाउन आया है।

ये कौन सा ट्यून है।

ये लॉक डाउन मोहब्बत वाला ट्यून है।

तुमने मेरा वाला ट्यून सुना।

हां... वही न हम तुम्हें चाहते है ऐसे वाला।

#लॉकडाउन_लप्रेक
#लॉकडाउन_मोहब्बत
#देवपंती

Friday 13 January 2017

इन भक्तो से भगवान बचाये, ये तो भगवान से भी आगे है


मुझे लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी से भी अगर कोई बात करते समय
उनकी किसी निति या बात का लाजिकल उत्तर देकर उसे गलत बताये तो उससे लडेंगे नहीं। पर इन भक्‍तो से भगवान बचाये। एक कार्यक्रम में नोटबंदी पर चर्चा होने लगी। उसमें भक्त ने कहा कि जनता मोदी जी का समर्थन कर रही है इसलिए सडक पर नहीं आयी। इस पर मैने कह दिया कि अनता को उनसे आस है। इसलिए सडक पर नहीं आयी। पर जब आस खत्म होगी। जो आस है वो पूरा नहीं होगा तो जनता सडक पर न आकर तख्त पलट देगी। इस पर भक्त ने जोड दिया कि अगले पंचवर्षीय में हटा देगी। 60 साल भुल गये। हटा देगी तो क्या होगा।15 साल तक तो र हेंगे ही। शायद ये 60 साल के दौरान लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल को भूल जाते है। इस दौरान चर्चा में एक पत्रकार जो भक्त दल से जुडे है। उनसे कह दिया कि वे पत्रकार है तो दोनों बातो को रखना चाहिए। अच्छे और बूरे दोनों। पर दल से जुडे है तो कैसे रख सकेंगे। पर इस उन्होंने कहा कि आप वोट देते है। तो आप भी तो किसी दल से जुडे हो। ये क्या लाजिक है। मेन स्ट्रीम पत्रकारिता और मेन स्ट्रीम राजनीति एक साथ कैसे हो सकती है।राजनीति करना है तो शलभमणि त्रिपाठी, आशुतोष आदि फला फला बन जा‍यिए।लिखना शौक है तो स्वतंत्र होकर लिखिए। पर एक दल की राजनीति करते हुए एकअखबार या चैनल की पत्रकारिता कैसे कर सकते हो। वैसे कर सकते हो जी न्यूज व सुभाष चंद्रा तो कर ही रहे है और भी बहुत से चैनल व पत्रकार कर ही रहे है। ऐसे लोगों को समाज समझ्‍ने लगा है। आपको भी समझ् ही रहे होंगे। आप इनसे इतर थोडे होंगे। मोदी जी के सादगी की चर्चा भी भक्त खुब करते है। पर उनसे अगर उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं पर चर्चा करिये तो अलग लाजिक देंगे। नोटबंदी में गडकरी जी के घर जो शादी हुयी क्या तो कम बजट में नहीं हो सकती थी। क्या आदर्श प्रस्तुत नहीं किया जा सकता था। इस पर वो उन्‍हें बिजनेश मैन बना देते हैं । अब मैन नहीं कहूंगा कि उनकी बेनामी कंपनियों का भी मामला प्रकाश में आया था। क्यों कि भक्त कहेंगे साबित कुछ नहीं हुआ। वैसे भी साबित तो किसी नेता का कुछ नहीं होता। साबित होता तो बहुत से नेता जेल में होते। नोटबंदी के फैसले को सही कहते हुए अगर आपने उसमें किसी नियम तक को गलत कह दिया तो भक्त आप पर दस सवाल दाग देंगे। चर्चा में एक भक्त ने मुझ पर दाग ही दिया कि आप लाइन में लगे,आपके पास अाधार है, आपके पास पैन कार्ड है, आप मेहनत का पैसा जमा किये हो। भक्त को तो जवाब दे ही दिया । पर अगर उन भक्त से पूछ लेता आप जो कमाये उसका हिसाब है। कहां से कमाये हो तो सब भक्ति निकल जाती। पर कुछ सम्मान करना था वहां, इसलिए नहीं पूछा। इन्ही भ्‍क्त से कहा कि अन्ना का लोकपाल क्या हुआ पूछा तो कहने लगे कैसा लोकपाल चाहिए। मैने कहा जो सत्ता में आने से पहले चाहते थे तो कहने लगे नोटबंदी वहीं है। वाह क्या लाजिक है। इसलिए कहता हूं इन अंध भक्तो से भगवान बचाये।