आज पत्रकारिता दिवस है तो कवि डा कुमार विश्वास जी के हम है देशी कविता के तर्ज पर मेरी कविता।
हम है पत्रकार, हम है पत्रकार
हम है पत्रकार हां मगर खबरो में आते नहीं।
पत्रकारिता के हम परिंदे, खबरे है हद हमारी,
जानते है हुक्मरान, जिद हमारी जद हमारी।
हम वही जिसने खबरो से मजलूमो का हाथ थामा,
हम वही जिनके लिए दिन रात की उपजी न बाधा।
हम की जो लेखनी वाले को मानकर सम्मान देते,
हम की जो खबरो में खबर को है पहचान लेते।
हम है पत्रकार, हम है पत्रकार
हम है पत्रकार हां मगर, दलाल यहां भी छाये हुए है।
उन पत्रकारो का क्या करे, जो लेखनी वाले नहीं,
ऐसे पत्रकारो के लिए क्या पत्रकारिता दिवस है सही।
राजनैतिक दलो का बैनर ले राष्ट्रवादी बन जाते है ये,
फिर भी खुद काे पत्रकार कहलाते है ये।
दिन भर खटते न्यूज बटोरते, उनका हक मार जाते है ये,
सवाल ये कि आखिर पत्रकार क्यों कहलाते है ये।
#हिंदी_पत्रकारिता_दिवस_2020