Sunday 14 September 2014

इक मोहतरमा की स्कूटी

मेरे साथ गजब हो गया। इम्प्रेशन का बाई गाड डीस्प्रेशन हो गया। दरअसल ऑफिस के बाहर इक मोहतरमा का स्कूटी खराब हो गया। सेल्फ पे सेल्फ लिए जा रही थी पर स्कूटी स्टार्ट होने को तैयार नही था। संदेह वश मैंने उन्हें पहचान लिया। फिर क्या था मैंने मोहतरमा के मोहतरम को फोन लगा के जानकारी दी। उधर वो भी उधरी फोन घुमा रही थी। आखिर मुझे उधर से निर्देश मिला मदद का तो मै गया......जाने को अइसे भी चला जाता मदद को......पर सहमती से जाना ज्यादा सही है.....आजकल के दिनों में।यहा तक तो ठीक रहा इसके बाद जो हुआ उसका टक्कर कोई नवसिखिया ही ले सकता है। स्कूटी चालू करने तो चला गया पर बात वही थी जैसे किसी नोकिया 1100 यूज करने वाले को एंडराएड फोन दे दिया जाये। इतना पता था की ये अब सेल्फ से नही किक से स्टार्ट होगा। कालेज के दिन में अपने चालक का अनुभव था कुछ।पहले दो तीन किक मारी फिर मै खुद मददाभिलासी हो मोहतरमा से पुछ किक मारी और एक्सिलेटर ली फिर क्या .....जो हुआ वो नही होना चाहिए था। गाड़ी तो स्टार्ट हो गई पर इतनी तेज स्टार्ट हुई की मुझे 4-5 मीटर तक दौड़ा ले गई ।इक खड़ी गाड़ी में टक्कर मारी और फिर घूम के 2 मीटर और दौड़ाई इक और खड़ी गाड़ी में टक्कर मारने के बाद किसी तरह रुकी। ये तो शुक्र था रास्ते में कोई सजीव वस्तु नही आई....नही गाड़ी को कुछ हुआ....हल्का फुल्का मुझे जो लगा वो दंड स्वरूप मिला या प्रसाद पता नही। पर जो हुआ कुछ मेरी गलती थी जो बिना किताब पढ़े चल दिया था परीक्षा देने।इसके बाद तो मेरी दुबारा हिम्मत नही हुई मोहतरमा से बोलने की...फिर से स्टार्ट करु क्या । इस बात का अफ़सोस भी रहा क्यूंकि झटका खाने के बाद तरीका समझ आ गया था। फ़िलहाल उन्होंने अपने भाई को फोन कर बुला लिया । मेरी इस खता से मोहतरमा खफा नही हुई ...यही संतुष्टि थी...वैसे उन्होंने मेरे गिरते इंप्रेशन को यह कह कर संभाल लिया की कोई बात नही मै भी गिरती पड़ती रहती हु। ये तो बाद में
उनके मोहतरम से पता चला की उन्होंने मुझे तसल्ली देने के लिए कहा था। वैसे ठीक ही किया और कहा था....मुझे तो डर था की गाड़ी न टूटी हो..और उन्हें ये की मुझे तो नही लगी।वैसे उनके मोहतरम ने बता दिया की लगी कम होगी एक्टिंग ज्यादा करता है.....लगी तो थी इज्जत पे बाट.....जिसका दर्द ज्यादा गहरा होता है। वैसे स्कूटी के किक का सिस्टम भी बहुत उल्टा है। गाड़ी लडकियों के लिए है पर सुविधा नही है उनके हिसाब से। इक तो किक उल्टी तरफ वो भी काफी पीछे की ओर है। कम ही लडकिया होगी जो सेल्फ खराब होने के बाद स्कूटी स्टार्ट कर लेती हो वो भी बैठे बैठे......ये फोकट का एडवाईस है स्कूटी कम्पनी वालो को। काश अपनी भी कोई मोहतरमा होती स्कूटी वाली तो .....स्कूटी स्टार्ट करने का अनुभव हो गया होता।
लप्रेक-लव टाइम ऑफ़ नाच न आवे आगन टेड़ा

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