Thursday 16 August 2012

लम्हे


कुछ लम्हे रह जाते है यादो के झरोखो में,
कुछ लम्हे चलते जाते है जीवन की डगर पर और  कुछ बिछड़ते ,
कुछ लम्हे हँसाते है और कुछ आंसुओ की धारा है बहाते,
हसाते लम्हों को रोज याद करने का मन करता है,
पर रुलाते लम्हे भी यादो में ही जाते है,
लम्हे आखिर लम्हे है जो किसी लम्हे के एहसास से ही याद आते है,
लम्हा तो भूत, भविष्य, वर्तमान है,
लम्हा ही तो जीवन का आधार है,
ये लम्हे ही तो है जो टीम इण्डिया को विश्व चैम्पियन होने का एहसास दिलाते है,
जो खिलाडियों के मुस्कराते चेहरे पर खुसी के आंसू छलका जाते है,
लम्हों के बिना जीवन नीरस है, लम्हे कर्म में साथ आते है,
लम्हों का आपस में ताना बाना है , जिसे छोड़ कर एक दिन सब को जाना है
लम्हों को भी तो यादे ही बन जाना है फिर आने वाले लम्हों से क्यू घबराना है 

No comments:

Post a Comment